क्रिसमस ईसा मसीह के जन्म की खुशी मनाने का समय है। यह 25 दिसंबर को मनाया जाता है। इस दिन पूरे विश्व में अवकाश रहता है।
क्रिसमस के बाद 12 दिनों तक क्रिसमसटाइड का उत्सव होता है। इस दिन को ईसाई धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है।

मुख्य बिंदु
- क्रिस्मस दुनिया भर में मनाया जाने वाला प्रमुख धार्मिक त्यौहार है
- यह प्रभु यीशु मसीह के जन्म का त्यौहार है
- क्रिसमस 25 दिसंबर को मनाया जाता है और इस दिन सार्वजनिक अवकाश होता है
- क्रिसमस से 12 दिनों तक क्रिसमसटाइड का उत्सव मनाया जाता है
- क्रिसमस धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों रूपों में मनाया जाता है
क्रिसमस का इतिहास और उत्पति
क्रिसमस का इतिहास बहुत पुराना है। इसकी शुरुआत उत्तरी यूरोप में हजारों वर्ष पहले हुई थी। प्राचीन रोमन लोग 25 दिसंबर को सूर्य के जन्म के रूप में देखते थे।
पोप जुलियस ने 336 ईस्वी में इस दिन को यीशु का जन्मदिवस घोषित किया था। इस तरह क्रिसमस की उत्पति और क्रिसमस का इतिहास दोनों रोमन साम्राज्य में जुड़े हुए हैं।
क्रिसमस की प्राचीन परंपराएं
उत्तरी यूरोप में क्रिसमस ट्री की परंपरा सदियों से है। लोग सदियों से सदाबहार पेड़ों को सजाते आ रहे हैं।
इन पेड़ों को लोग उजाला और जीवन का प्रतीक मानते हैं।
336 ईस्वी में पहला क्रिसमस
रोम में 336 ईस्वी में पहली बार क्रिसमस का त्यौहार मनाया गया। इस दिन को पोप जुलियस ने प्रभु यीशु के जन्मदिवस के रूप में घोषित किया था।
रोमन साम्राज्य में क्रिसमस
रोमन साम्राज्य में क्रिसमस का त्यौहार बड़े पैमाने पर मनाया जाता था। लोग इस मौके पर एक-दूसरे को उपहार देते थे।
Source: You Tube
क्रिसमस का उत्सव सर्दियों का त्यौहार है। यह दुनिया भर में लोकप्रिय है।
प्रभु यीशु का जन्म और धार्मिक महत्व
ईसाई धर्म के अनुसार यीशु मसीह का जन्म बेथलेहम में हुआ था। मैरी और जोसेफ जनगणना के लिए गए हुए थे जहाँ उनका जन्म हुआ। उनका जन्म एक अस्तबल में हुआ जहाँ उन्हें शरण मिली थी।
हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस का त्यौहार मनाया जाता है। यह प्रभु यीशु के जन्मदिन का उत्सव है।
बेथलेहम में जन्म की कहानी
क्रिसमस का विशेष महत्व ईसाई धर्म में है। यह यीशु के जन्म का प्रतीक है।
बाइबल के अनुसार मैरी और जोसेफ बेथलेहम पहुंचे। वहां कोई जगह नहीं मिली। उन्हें एक अस्तबल में शरण मिली थी।
मैरी और जोसेफ का वृतांत
मैरी और जोसेफ की कहानी क्रिसमस के महत्व को बढ़ाती है। यीशु का जन्म एक अद्भुत चमत्कार था। बाइबल के अनुसार मैरी एक कुँवारी कन्या थी जिनके द्वारा प्रभु येशु मसीह का जन्म हुआ था। इस लिए उन्हें माता मरियम कहा जाता है। जोसेफ एक बढ़ई था।
ईसाई धर्म में क्रिसमस का स्थान
क्रिसमस का त्यौहार ईसाई धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है। इसका आयोजन प्रभु यीशु के जन्मदिन के रूप में होता है।
इस दिन लोग चर्च जाते है।प्रार्थना करते हैं गीत गाते हैं डांस करते हैं। सामूहिक पार्टीज़ भी आयोजित होती हैं। व्यंजनों का आनंद लेते हैं।
“क्रिसमस प्रभु यीशु के जन्मदिन के रूप में हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाता है।”
क्रिसमस की परंपरागत प्रथाएं

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क्रिसमस का जश्न पूरी दुनिया में 25 दिसंबर को बड़े ही उत्साह और खुशी के साथ मनाया जाता है। लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर क्रिसमस की प्रमुख परंपराओं का आनंद लेते हैं। इनमें क्रिसमस ट्री को सजाना, उपहार देना, कैरल गाना और विशेष भोजन शामिल हैं।
कई देशों में क्रिसमस 12 दिनों तक मनाया जाता है। जिसे Twelfth Night कहा जाता है। इस दौरान चर्च में विशेष प्रार्थनाएं और समारोह आयोजित किए जाते हैं। सभी घर के लोगों और रिश्तेदारों के साथ मिलकर उपहार लेने के शौकीन होते हैं। मीठा खाने और उपहार देने की परंपरा भी प्रमुख है।
विभिन्न देशों में क्रिसमस का शौक और उसकी मनाए जाने की परंपराएं मुख्य हैं। जैसे केएफसी क्रिसमस, मकड़ी के जाल की सजावट, क्रिसमस कयाकिंग और समुद्री तट पर सेलिब्रेशन। क्रिसमस ट्री की सजावट भी एक प्रमुख परंपरा है। जिसकी शुरुआत जर्मनी में दसवीं शताब्दी में हुई थी।
क्रिसमस के दिन स्कूल भी विशेष कार्यक्रम और निबंध लेखन प्रतियोगिताएं आयोजित करते हैं। क्रिसमस प्रेम, हंसी-खुशी और एकता का प्रतीक है और यह सभी के लिए खुशियों का समय है।
क्रिसमस के दिन घरों और सड़कों को रोशन करने की परंपरा भी काफी लोकप्रिय है। उपहार देना और लोगों में प्रेम और सद्भावना का वातावरण बनाना भी क्रिसमस का एक महत्वपूर्ण पहलू है। क्रिसमस समय दया, दान और स्वयंसेवा में भाग लेने का भी प्रतीक होता है।
“क्रिसमस को विश्वास, प्रेम और एकता के मूल्यों को बढ़ावा देने का समय माना जाता है।”
इस प्रकार क्रिसमस की परंपराओं और खुशियों का जश्न मनाकर लोग एक ऐसी समाज की कल्पना करते हैं। जो प्रेम, सम्मान, ईमानदारी और विश्वास पर आधारित हो।
सांता क्लॉज की कहानी और उनका महत्व
सांता क्लॉज की कहानी संत निकोलस से जुड़ी है। उन्होंने 280 ईस्वी में तुर्की में रहते हुए गरीबों और बच्चों की मदद की। इसलिए उन्हें क्रिसमस के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
गिफ्ट देने की परंपरा
सांता क्लॉज की सबसे प्रसिद्ध परंपरा है गिफ्ट देना। यह उनकी दयालुता और उदारता से प्रेरित है। वे गरीब लोगों और बच्चों को उपहार देते थे।
विशेष रूप से उन्होंने तीन बहनों को उपहार दिया जो गरीबी के कारण खराब जीवन जीने के लिये मजबूर थी
क्रिसमस ट्री की परंपरा
क्रिसमस ट्री की परंपरा उत्तरी यूरोप से शुरू हुई। इसका प्रतीकात्मक महत्व है। यह प्रथा धीरे-धीरे पूरी दुनिया में फैल गई।
आज क्रिसमस ट्री क्रिसमस का प्रमुख प्रतीक बन गया है। सांता क्लॉज भी इसी प्रकार से क्रिसमस के प्रमुख प्रतीक बन गए हैं।

FAQ
क्रिसमस क्यों मनाया जाता है?
क्रिसमस ईसा मसीह के जन्म की खुशी में मनाया जाता है। 25 दिसंबर को इसे मनाया जाता है। यह विश्वव्यापी अवकाश है।
क्रिसमस का इतिहास और उत्पति क्या है?
क्रिसमस की शुरुआत 336 ईस्वी में रोम के पहले ईसाई सम्राट के दौर में हुई। उत्तरी यूरोप में हजारों वर्ष पहले क्रिसमस ट्री की परंपरा शुरू हुई।
रोमन लोग मानते थे कि 25 दिसंबर को सूर्य का जन्म होता है। पोप जुलियस ने आधिकारिक रूप से 25 दिसंबर को यीशु का जन्मदिवस घोषित किया था।
प्रभु यीशु का जन्म और क्रिसमस का धार्मिक महत्व क्या है?
यीशु का जन्म एक अद्भुत चमत्कार था। बाइबल के अनुसार मैरी एक कुँवारी कन्या थी जिनके द्वारा प्रभु येशु मसीह का जन्म हुआ था। बाइबल के अनुसार यीशु का जन्म एक अस्तबल में हुआ था।
ईसाई धर्म में क्रिसमस का विशेष महत्व है। यह यीशु के जन्म का प्रतीक माना जाता है।
क्रिसमस की परंपरागत प्रथाएं क्या हैं?
क्रिसमस की प्रमुख परंपराओं में क्रिसमस ट्री सजाना शामिल है। गिफ्ट देना, कैरल गाना और विशेष भोजन भी महत्वपूर्ण हैं।
बहुत से देशों में क्रिसमस 12 दिनों तक मनाया जाता है। इसे Twelfth Night कहा जाता है। चर्च में विशेष प्रार्थनाएं और समारोह आयोजित किए जाते हैं।
सांता क्लॉज की कहानी और उनका महत्व क्या है?
सांता क्लॉज की कहानी सेंट निकोलस से जुड़ी है। वे 280 ईस्वी में तुर्की में रहते थे।
वे गरीबों और बच्चों की मदद करते थे। क्रिसमस ट्री की परंपरा उत्तरी यूरोप से शुरू हुई।
गिफ्ट देने की परंपरा सेंट निकोलस की दयालुता से प्रेरित है। आज सांता क्लॉज क्रिसमस के प्रमुख प्रतीक बन गए हैं।
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