क्रिसमस आते ही सभी के मन में एक सवाल होता है क्यों प्लम केक खाते हैं? यह परंपरा मध्यकालीन इंग्लैंड से शुरू हुई है। भारत में भी क्रिसमस केक की एक दिलचस्प कहानी है।
भारत में पहला क्रिसमस केक बनाने का श्रेय मर्डोक ब्राउन को जाता है। उन्होंने 1883 में केरल में रॉयल बिस्किट फैक्ट्री के मालिक से अनुरोध किया था।
केरल में ईसाई आबादी 14% है। इसलिए यहां क्रिसमस केक का उत्पादन बहुत होता है। जनवरी 2020 में केरल के बेकर्स ने 5.3 किमी लंबा केक बनाया था।
केरल में नवंबर से ही क्रिसमस की तैयारी शुरू हो जाती है। ग्राहक ताजा क्रीम केक की मांग करते हैं।
केक की बिक्री क्रिसमस से पहले शुरू हो जाती है। मुंबई, बैंगलोर, चेन्नई और कोलकाता में केक भेजा जाता है।
त्योहारी सीजन में केक की मांग बढ़ जाती है। युवा ताजा क्रीम केक पसंद करते हैं।
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मुख्य बिंदु
- भारत में पहला क्रिसमस केक 1883 में बनाया गया था
- केरल में क्रिसमस केक का उत्पादन काफी होता है
- केरल के बेकर्स ने 5.3 किमी लंबा केक बनाकर विश्व रिकॉर्ड बनाया
- क्रिसमस की शुरूआत नवंबर हो जाती हैं
- युवा ग्राहक ताजा क्रीम केक पसंद करते हैं
भारत में क्रिसमस केक की शुरुआत
भारत में क्रिसमस केक की परंपरा 140 साल पुरानी है। इसकी शुरुआत केरल के एक बेकर ने की थी। 1880 में केरल में पहली बेकरी खुली थी।
उस समय बेकरी में बिस्किट, रस्क, ब्रेड और बन जैसे 40 से अधिक उत्पाद उपलब्ध थे।
पिछले 140 वर्षों में क्रिसमस केक बिज़नेस भारत में बहुत बड़ा हो गया है। थलासेरी में यह एक प्रमुख केंद्र है।
केरल, एर्नाकुलम, कोझीकोड और कोट्टायम जैसे राज्यों में माम्बली परिवार ने स्थानीय स्वाद के अनुसार बेकरी खोली थी।
क्रिसमस के मौसम में बेकरी को भारत से लेकर संयुक्त राज्य अमेरिका तक बड़े ऑर्डर आते हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान फील्ड मार्शल के.एम. करियप्पा ने भी माम्बली परिवार के उत्पादों की सराहना की थी।
पहला क्रिसमस केक बनाने की कहानी
1883 में स्कॉटलैंड के मर्डोक ब्राउन ने केरल के माम्बली बापू से पहला क्रिसमस केक बनवाया। ब्राउन ने बापू को केक बनाने का तरीका सिखाया।
Source: You Tube
माम्बली बापू ने स्थानीय सामग्रियों का इस्तेमाल किया जैसे अरक, काजू, सेब और केले।
“बापू ने एक ही महीने में केक तैयार करने का काम पूरा कर लिया था। कुछ ही दिनों में केक न सिर्फ लोकप्रिय हो गया बल्कि क्रिसमस केक इतिहास का एक अभिन्न अंग बन गया।”
स्कॉटलैंड के व्यापारी मर्डोक ब्राउन का योगदान
मर्डोक ब्राउन के प्रयासों से भारत में क्रिसमस केक की नींव रखी गई। उनके कारण केरल क्रिसमस केक बनाने का एक प्रमुख केंद्र बन गया।
जनवरी 2020 में राज्य के बेकर्स एसोसिएशन ने विश्व का सबसे बड़ा केक बनाया। यह केक 5.3 किलोमीटर लंबा था।
कोविड-19 महामारी के बाद राज्य ने क्रिसमस समारोह की तैयारियों को बढ़ाया। माम्बली जैसी बेकरियां नवंबर से ही तैयारी शुरू कर देती है।
केक की बिक्री नवम्बर के अंत से शुरू होती है। ताजा क्रीम केक युवाओं को बहुत पसंद आता है।
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रॉयल बिस्किट फैक्ट्री और माम्बली बापू
केरल में क्रिसमस केक की परंपरा बहुत रोचक है। 1883 में मर्डोक ब्राउन ने भारत में पहला क्रिसमस केक बनाया। रॉयल बिस्किट फैक्ट्री ने इस परंपरा में बड़ा योगदान दिया है।
माम्बली बापू ने मर्डोक ब्राउन के साथ मिलकर केक बनाने का प्रयास किया। उन्होंने केक में स्थानीय काजू का अर्क मिलाया। इसने केक का स्वाद बहुत अनोखा बनाया।
स्थानीय सामग्रियों का इस्तेमाल और अनूठा स्वाद
माम्बली बापू ने केक बनाने में स्थानीय सामग्रियों का इस्तेमाल किया। उनकी बेकरी केरल में क्रिसमस केक के लिए प्रसिद्ध है।
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान सैनिकों के लिए भी केक भेजे जाते थे।
केरल में क्रिसमस केक बनाने की परंपरा में बहुत विकास हुआ है। जनवरी 2020 में केरल के बेकर्स एसोसिएशन ने 5.3 किमी लंबा केक बनाया। इसने चीन के 3.2 किमी के रिकॉर्ड को तोड़ दिया।
वर्ष | घटना |
---|---|
1883 | भारत में पहला क्रिसमस केक बनाया गया |
प्रथम विश्व युद्ध | रॉयल बिस्किट फैक्ट्री से सैनिकों को केक भेजे गए |
2020 | केरल में 5.3 किमी लंबा केक बनाकर गिनीज रिकॉर्ड बनाया गया |
आज भी केरल में क्रिसमस केक की मांग बहुत अधिक है। माम्बली बेकरी जैसी कई बेकरियां नवंबर से ही तैयारी शुरू कर देती हैं।
केरल की 3.5 करोड़ की आबादी में लगभग 14% ईसाई हैं। यहां केक का आदान-प्रदान बहुत अधिक होता है।
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Why plum cake for christmas
क्रिसमस के मौसम में प्लम केक बहुत लोकप्रिय है। इसका इतिहास 16 वीं सदी के इंग्लैंड में शुरू हुआ। उस समय लोग क्रिसमस से पहले एक समृद्ध दलिया खाते थे।
प्लम केक के इतिहास की एक झलक
समय के साथ इस दलिया ने प्लम केक में बदलाव दिखाया। 19 वीं सदी के अंत में क्वीन विक्टोरिया ने ट्वेल्थ नाइट के उत्सव पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस कारण से लोग क्रिसमस के लिए प्लम केक बनाने लगे।
ये केक ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, कनाडा और दुनिया के अन्य हिस्सों में भेजे जाते थे। वे क्रिसमस हैम्पर का हिस्सा थे।
देश | प्लम केक की विशेषताएं |
---|---|
फ्रांस | ताजा या सूखे प्लम का उपयोग |
इटली | पारंपरिक तरीके से तैयार |
जर्मनी | फलों से भरपूर |
पोलैंड | विभिन्न प्रकार के प्लम केक |
प्लम केक की लोकप्रियता और प्रसार
पिछली दो शताब्दियों में प्लम केक विश्वभर में फैल गया। हर देश और परिवार में इसके अलग-अलग संस्करण हैं।
लेकिन यह दिलचस्प है कि पारंपरिक प्लम केक में वास्तव में प्लम नहीं होता। अंग्रेजी में “प्लम” शब्द प्रून, किशमिश या अंगूर को संदर्भित करता था।
प्लम केक और फ्रूट केक शब्द एक-दूसरे के पर्याय बन गए हैं। कई प्लम केक में वास्तव में प्लम नहीं होता बल्कि मिठास के लिए किशमिश और प्रून जैसे सूखे फल का उपयोग किया जाता है।
भारत में क्रिसमस के मौसम में प्लम केक में रम भी मिलाई जा सकती है। इस तरह क्रिसमस प्लम केक का इतिहास बहुत समृद्ध और विविध है। यह विभिन्न संस्कृतियों और स्वादों को दर्शाता है।
निष्कर्ष
क्रिसमस केक का इतिहास भारत में लगभग 150 साल पुराना है । 1883 में एक ब्रिटिश व्यापारी ने माम्बली बापू को प्लम केक की अवधारणा से परिचित कराया। तब से यह भारत में एक लोकप्रिय मिठाई बन गया है।
भारत में केवल 3% लोग ईसाई धर्म का पालन करते हैं। लेकिन क्रिसमस केक की लोकप्रियता देश भर में फैल गई है।
यहूदियों और पारसियों जैसे प्रवासी समुदायों ने भी क्रिसमस केक को विविध बनाया है। कोलकाता की नाहौम कन्फेक्शनरी अपने प्लम केक के लिए प्रसिद्ध है।
गोवा, पांडिचेरी और पूर्वी भारत में भी विशिष्ट क्रिसमस केक हैं। ये अपनी अनोखी सामग्री और स्वाद के लिए जाने जाते हैं।
आज प्लम केक क्रिसमस के जश्न का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। केरल के बेकरी उद्योग ने इसे एक नई ऊंचाई तक पहुंचाया है।
केरल के बेकर्स ने हाल ही में 5.3 किमी लंबे केक के साथ गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। माम्बली बेकरी मुंबई, बैंगलोर, चेन्नई और कोलकाता जैसे शहरों से ऑर्डर प्राप्त करती है।
क्रिसमस केक भारतीयों के दिलों में गहराई से बस गया है। यह न केवल एक स्वादिष्ट व्यंजन है बल्कि एक परंपरा भी है जो लोगों को एकजुट करती है।
समय के साथ क्रिसमस केक इतिहास का एक अनमोल हिस्सा बन गया है। यह एक स्वादिष्ट व्यंजन है और एक परंपरा भी है जो लोगों को एकजुट करती है।
प्लम केक की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और लोकप्रियता आने वाले वर्षों में भी बनी रहेगी। यह उत्सव की भावना और एकता के मूल्यों का प्रतीक है।
FAQ
क्रिसमस के समय प्लम केक क्यों खाया जाता है?
प्लम केक का इतिहास बहुत दिलचस्प है। यह मध्यकालीन इंग्लैंड से शुरू हुआ। उस समय इसमें किशमिश और सूखे मेवे मिलाये जाते थे ।
आज यह केक क्रिसमस का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है।
भारत में पहला क्रिसमस केक कब और कैसे बनाया गया?
भारत में पहला क्रिसमस केक 1883 में बनाया गया था। यह केरल की रॉयल बिस्किट फैक्ट्री में मर्डोक ब्राउन के निर्देशन में बनाया गया।
ब्राउन ब्रिटेन से एक सैंपल लाये थे। उन्होंने माम्बली बापू को केक बनाने का तरीका सिखाया था।
प्लम केक की शुरुआत कब और कहां हुई?
प्लम केक की परंपरा 16 वीं सदी के इंग्लैंड में शुरू हुई। धीरे-धीरे यह परंपरा पूरी दुनिया में फैल गई। 19 वीं सदी के अंत में प्लम केक ब्रिटिश उपनिवेशों जैसे भारत में भी पहुंचा।
आज की दुनिया में प्लम केक की लोकप्रियता कैसी है?
पिछली दो सदियों में प्लम केक बहुत लोकप्रिय हो गया है। दुनिया भर में इसके अपने स्वाद और रूप विकसित हुए हैं।
भारत में भी क्रिसमस की कल्पना प्लम केक के बिना नहीं हो सकती। यह पारंपरिक केक उत्सव की मिठास में चार चांद लगाता है।
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